मंगलवार, 29 नवंबर 2011

क्वार मैं


नव उत्सव 
हमारे आँगन आना | 

उमंगों के मेलों को 
चाहत के रेलों को
तुम साथ लाना |

खुशियों की गमक को 
चेहरे की चमक को 
विस्तार दे जाना |

अमावस की रात को 
दीयों की पांत को 
नव आलोक लाना |

पटाखों की लड़ियों को 
बच्चों की फुलझडियों को 
नव उल्लास दे जाना |

हल जोतते भोला को 
खड़ी फसलों को 
नयी मुस्कान दे जाना |

पडौस की बूढ़ी काकी की
अन्दर धंसी आँखों को 
बेटों की चाहत की 
एक झलक दे जाना  |

मोहिनी चोरडिया 
चेन्नई 

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