नव उत्सव
हमारे आँगन आना |
उमंगों के मेलों को
चाहत के रेलों को
तुम साथ लाना |
खुशियों की गमक को
चेहरे की चमक को
विस्तार दे जाना |
अमावस की रात को
दीयों की पांत को
नव आलोक लाना |
पटाखों की लड़ियों को
बच्चों की फुलझडियों को
नव उल्लास दे जाना |
हल जोतते भोला को
खड़ी फसलों को
नयी मुस्कान दे जाना |
पडौस की बूढ़ी काकी की
अन्दर धंसी आँखों को
बेटों की चाहत की
एक झलक दे जाना |
मोहिनी चोरडिया
चेन्नई
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