मेरे मन ,
बसंत के गाँव चल तो सही
सब कुछ है वहीं
उमंग उल्लास का गाँव है ये
प्रीत की डोर थामे ,चल तो सही | सब कुछ है वहीं |
सावंरिया की बंसी है
गोपियों का रास
रस से भरी राधा है
मदमाता मधुमास |
प्यार की मनुहार में पगा
सतरंगी यौवन है
गौरी की गारी को
झेल रहे बनवारी हैं |
नेह की पिचकारी है
रंगों की बौछार है
पोखर पड़े गालों पे
चटक गुलाबी प्यार है |
वंशी की लय पे छिड़ा
फागुन का अभिसार है
सखा नंदलाल भये पलाश
वृषभानु लली भई गुलाल है |
बहकी- बहकी राधा है
चहंके-चहंके मुरारी
जोरी-बरजोरी है
बुरा न मानों होरी है |
मोहिनी चोरड़िया