शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

मेरे मन



मेरे मन ,
बसंत के गाँव चल तो सही
सब कुछ है वहीं
उमंग उल्लास का गाँव है ये
प्रीत की डोर थामे ,चल तो सही | सब कुछ है वहीं |

सावंरिया की बंसी है
गोपियों का रास
रस से भरी राधा है
मदमाता मधुमास |

प्यार की मनुहार में पगा
सतरंगी यौवन है
गौरी की गारी को
झेल रहे बनवारी हैं |

नेह की पिचकारी है
रंगों की बौछार है 
पोखर पड़े गालों पे
चटक गुलाबी प्यार है |

वंशी की लय पे छिड़ा
फागुन का अभिसार है
सखा नंदलाल भये पलाश
वृषभानु लली भई गुलाल है |

बहकी-बहकी राधा है
चहंके-चहंके मुरारी
जोरी-बरजोरी है 
बुरा न मानों होरी है |


मोहिनी चोरड़िया 



  

  

  

सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

मालिनी बसंत



तन-मन की तरुणाई लाई
मालिनी बसंत आई|

फूलों का उपहार
गंधों का त्यौहार
भौंरों का अभिसार लाई
मालिनी बसंत आई |

मदमाता मधुमास
फूलता पलाश
पवन पगलाती लाई
मालिनी बसंत आई |

रसभरी अमराई
कीटों का गुँजार
कलियों में सिहरन लाई
मालिनी बसंत आई |

मन में उमंग
तन में उल्लास
आँखों में लाज लाई
मालिनी बसंत आई |

नेह की पिचकारी
केसर,चंदन ,टेसू के
रंगों का अम्बार लाई
मालिनी बसंत आई |

कविताओं का कुंकुम
गीतों का अबीर
गज़लों का गुलाल लाई
मालिनी बसंत आई |

रसिया और फाग लाई
केसरिया मजाक लाई
तन-मन की तरुणाई लेकर
मालिनी बसंत आई |


मोहिनी चोरड़िया


गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

बसंत


बनन में बागन में
बगरयो बसंत है |
खेतन,खलिहानन में
फागुनी उमंग है ||


फूटी अमराइयों में
बासंती सुगंध है |
गुनगुन गुंजाता
आम्रकुंजों में अनंग है ||


चम्पा और चमेली ने
कलियाँ चटकाई हैं |
टेसू और पलाश ने
आग लगाईं है ||


गाँवों ढाणियों की डगर
फूलों का लिबास है |
पर्वतों मैदानों में
सेमल अमलतास है ||


बसंत महीने में
पवन पगलाई है |
प्रकृति बंजारिन बनी
मस्ती भरी रंगत छाई है ||


मोहिनी चोरडिया