गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

बसंत


बनन में बागन में
बगरयो बसंत है |
खेतन,खलिहानन में
फागुनी उमंग है ||


फूटी अमराइयों में
बासंती सुगंध है |
गुनगुन गुंजाता
आम्रकुंजों में अनंग है ||


चम्पा और चमेली ने
कलियाँ चटकाई हैं |
टेसू और पलाश ने
आग लगाईं है ||


गाँवों ढाणियों की डगर
फूलों का लिबास है |
पर्वतों मैदानों में
सेमल अमलतास है ||


बसंत महीने में
पवन पगलाई है |
प्रकृति बंजारिन बनी
मस्ती भरी रंगत छाई है ||


मोहिनी चोरडिया



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें