शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

मेरे मन



मेरे मन ,
बसंत के गाँव चल तो सही
सब कुछ है वहीं
उमंग उल्लास का गाँव है ये
प्रीत की डोर थामे ,चल तो सही | सब कुछ है वहीं |

सावंरिया की बंसी है
गोपियों का रास
रस से भरी राधा है
मदमाता मधुमास |

प्यार की मनुहार में पगा
सतरंगी यौवन है
गौरी की गारी को
झेल रहे बनवारी हैं |

नेह की पिचकारी है
रंगों की बौछार है 
पोखर पड़े गालों पे
चटक गुलाबी प्यार है |

वंशी की लय पे छिड़ा
फागुन का अभिसार है
सखा नंदलाल भये पलाश
वृषभानु लली भई गुलाल है |

बहकी-बहकी राधा है
चहंके-चहंके मुरारी
जोरी-बरजोरी है 
बुरा न मानों होरी है |


मोहिनी चोरड़िया 



  

  

  

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