प्रत्येक नये वर्ष के
आगमन पर हम
यही कहते हैं
नया वर्ष आया
नया सवेरा लाया ,लेकिन
हर बार ही
ऐसा क्यूँ होता है कि
जाग जाने के बावजूद भी
हमारी चेतना पुनः -पुनः
सो जाती है ?
सतर्कता कहीं गुम हो जाती है
हमारे ही लोग हमें दगा दे जाते हैं
और हम देखते रह जाते हैं
तो जागो दोस्तों
नये वर्ष की दस्तक दरवाज़े पर
सुनाई दे रही है
नये वर्ष को नयी सोच दो
नये वर्ष को नयी बातें दो
कहो .....अपने आप से ..
रिश्तों की हिफाज़त की
सम्बंन्धों को सरल रखने की
किसी के साथ छल न करने की
अधिकारों के पहले कर्तव्यों की |
कहो देशवासियों से ....
गोदामों में अन्न न भरने की
विदेशी बैंकों में धन न भरने की
अवैध व्यापार कर दान न देने की
सीमा अवधि पार की दवाइयां न बेचने की |
कहो अपने बच्चों से ...
घोटाला करने वाले मिलते हैं
तो लाल बहादुर शास्त्री भी
यहीं, भारत में ही
पैदा होते हैं |
आतंकवादी पनपते हैं
तो प्रोफ़ेसर डा अब्दुल कलाम भी
इसी देश को
मिलते हैं |
जागरण की बेला है
पुरुषार्थ का समय
चरेवैति-चरेवैति का नाद हो
राष्ट्रहित की फ़रियाद हो ,नव वर्ष पर |
मोहिनी चोरड़िया