गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

मेरा मन और मुस्कान


मेरे भीतर एक आकाश
कई सूर्य ,कई चन्द्र ,कई आकाशगंगाएं
तारों की झिलमिलाहट
उष्णता ,शीतलता ,धवलता कलुषता भी
संवेग ,आवेग, आवेश का फैलाव
तो
प्यार, प्रेम, सुखऔर
आनंद की लहर भी अंदर
इस आकाश से रूबरू होने की
कोशिश में लगी हूँ
बीत रहा है जीवन  दौड़ते भागते
और
जीवन की इस दौड़ में
धीरे-धीरे सब खुल रहे हैं
सामने आ रहे हैं
एक दुसरे पर
हावी भी हो रहे हैं
कौन जीतेगा ?
मैनें मन को कहा
धीरे से,
दुलार से ,
बस एक मुस्कान !
पिघल जायेंगें सब
शांत  हो जायेंगें
जीत जाएगा जीवन |

मोहिनी चोरडिया

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