मंगलवार, 26 जुलाई 2011

सर्जनहार

 हवा के पंखो पर चढ़कर
आती है तेरी खुशबू
नदियों के जल के साथ बहकर
कभी प्रपात बनकर, निनाद करती
अमृत सी झरती
आती है तेरी मिठास |
सूरज बनकर आता है कभी
सात घोड़ो के रथ पर सवार तू
अपनी किरणों से देता है जीवन
धरा के सकल चराचर प्राणियों को
ओर देता है ऊष्मा
धान पकने के लिए
अम्बर बनकर देता है जगह/अवकाश
हम सबको
ढक लेता है पिता सा
वरद हस्त बन, और
धरा धारण कर लेती है हमें
माँ बनकर
इससे अधिक प्रमाण और क्या मिलेगा
तेरे होने का ?
प्रकृति का कण- कण कहता
तेरी सुन्दरता की कहानी
तेरी सम्पूर्णता ही
हमारा जीवन है, सुंदरतम जीवन
सत्यम शिवम् सुन्दरम |
तेरी पूर्णता देखनी हो तो
तेरी बनाई प्रकृति के सभी अंशो से
प्यार करना होगा |

मोहिनी चोरडिया

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